ज़िन्दगी को लंबा समझता है यह इंसान
सपनो के खंडर बनता है यह इंसान
मौत को क्षितिज के उस पर बताता है यह इंसान
कितनी भूल में समय बिता रहा है
आज को छोड़, आने वाले कल से उम्मीद लगा रहा है
असल में ज़िन्दगी तो चंद पलो की मोहताज है
कल किसने देखा है, जो है वोह आज है
पर बेमतलबी ज़िन्दगी में मतलब कहां से लाए
क्यों पैदा किया गए है सभी, किस मुंह से उन्हें बताएं
शायद खुशी की तलाश में यह सब हो रहा है
आज की उम्मीदें, आने वाला कल ढोह रहा है
इक ऐसे मुकाम की तलाश करो, जहांकी यह तलाश ख़तम हो जाए
स्कुन से लें सके सांस जहां हर कोई, और ज़िन्दगी, ज़िन्दगी पर मुस्कुराए