आज कल उदासी का मौसम है
दिन रात कुछ ना कुछ गम है
फिर भी जी रहे हम है… हम है… हम है…
ज़िन्दगी में आज तक जो बटोरा
देखो वोह कितना कम है
फिर भी जी रहे हम है… हम है… हम है…
रौनक चेहरे की उड़ सी गई है
मन हुआ है जैसे जलती चिलम है
फिर भी जी रहे हम है… हम है… हम है…
खरीदने गए थे हम खुशियों को
पर आज तक मिले सितम है
फिर भी जी रहे हम है… हम है… हम है…
घर जो था वोह दीवारें बन है गई
हर रिश्ते में कोई ना कोई उलझन है
फिर भी जी रहे हम है… हम है… हम है…
इन रोतो को हसादे कोई
इससे पहले कि निकले दम है
फिर भी जी रहे हम है… हम है… हम है…