प्रभु जी तुम निष्ठुर कठोर
कुछ तो करो बदलाव रे
गहरे मेरे घाव रे
फंस गया हूं मैं, ना है कोई छोर
प्रभु जी तुम निष्ठुर कठोर
अब बातों पे, यकीन नहीं तेरी
दिल में चले तेरे हेरा फेरी
ज़माने भर में मचायुंगा, मैं इस बात का शोर
की प्रभु जी तुम निष्ठुर कठोर
अपना हमको तुम ने बनाया
थोड़ा अपना जलवा दिखाया
फिर क्यों आज ना है कोई ठोर
प्रभु जी तुम निष्ठुर कठोर
दुख में मैंने अन जल है त्यागा
मत तोड़ो मेरे प्रेम का धागा
तुम हो पतंग और मैं हुं डोर
प्रभु जी तुम निष्ठुर कठोर
मुझसे छुटे तो कहां जायोगे
मेरे बिन क्या रह पायोगे
चाहे लगा लो पूरा जोर
प्रभु जी ना बनो निष्ठुर कठोर