किस बात की कमी है

इतना तो कह दे प्यारे
की किस बात की कमी है

मुड़ के देख ज़माना
हर आंख में नमी है

पाना है बहुत मुश्किल
मुकम्मल जहान प्यारे

देखों ज़रा, औरों के हाथों से
हाथ भरे है तुम्हारे।

हम मौत को गले लगा लेंगे

जब भी सहमा या डरा
छुप गया तेरे आंचल की छायों में

आज फिर ज़िन्दगी की गर्मी बड़ी है
मौत हाथों में हथियार लिए खड़ी है

आज फिर याद आता है, तुम्हारा आंचल मुझे
बर्फ़ की खामोशी में, पहाड़ों की जड़ता में

कहीं से तुम वही आंचल फिर से लेहरा दो
तो हम मौत को गले लगा लेंगे

सोचेंगे की
जीते जीते तो पा ना सके, हम मर कर तुम को पा लेंगे

हम मौत को गले लगा लेंगे।