यह इंसान

दो पल हसने को तरसता है यह इंसान
ज़िन्दगी को लंबा समझता है यह इंसान

सपनो के खंडर बनता है यह इंसान
मौत को क्षितिज के उस पर बताता है यह इंसान

कितनी भूल में समय बिता रहा है
आज को छोड़, आने वाले कल से उम्मीद लगा रहा है

असल में ज़िन्दगी तो चंद पलो की मोहताज है
कल किसने देखा है, जो है वोह आज है

पर बेमतलबी ज़िन्दगी में मतलब कहां से लाए
क्यों पैदा किया गए है सभी, किस मुंह से उन्हें बताएं

शायद खुशी की तलाश में यह सब हो रहा है
आज की उम्मीदें, आने वाला कल ढोह रहा है

इक ऐसे मुकाम की तलाश करो, जहांकी यह तलाश ख़तम हो जाए
स्कुन से लें सके सांस जहां हर कोई, और ज़िन्दगी, ज़िन्दगी पर मुस्कुराए

सिक्कों की शांति

सारे विश्व की आवाम, एक ही बात जानती है
की नोटों की गड्डियों में ही शांति है

जितने हो उतने कम है
इनसे ही मिटते सब गम है

सब सुखों का कारण है यह
आनंद का उदहारण है यह

मुझे भी यही सिखाया था
बचपन से यही पढ़ाया था

इसीलिए

कमाने के लिए, हाथों में पकड़े कटोरे थे
बड़ी मेहनत से, चंद सिक्के मैंने बटोरे थे

पर सिक्कों ने जो वादा किया था, वोह सुख दिया नहीं
और मन ने सोचा, कि शायद अभी माकूल सिक्कों को इकठ्ठा किया नहीं

मन की तृष्णा क्यों यह मानती नहीं
की दुनिया भर के सिक्कों में भी शांति नहीं

गलती हमारी नहीं दरअसल, सिखाने वालों ने हमें गलत ही सिखाया
सिक्के ही सुख का कारण है, यही बतलाया

मैं तो जान गया हूं अब, पर ना जाने यह आवाम कब यह समझ पाएगी
की जीवन की सच्चाई, इन सिक्कों की पकड़ में कभी नहीं आएगी।

04.10.2012