जब रक्षक ही भक्षक बन जाए

जब रक्षक ही भक्षक बन जाए, तब कौन बचाएं

सदियों से हम किसी ना किसी को मुखिया बनाते रहे
अपनी समझ को इस्तेमाल करने में हिचकिचाते रहे

मुखिया की ही समझ श्रेष्ठ है, इसका क्या प्रमाण है
कभी ना कभी तो वोह भी गलती करेगा, आखिर वोह भी तो इंसान है

मुखिया अपनी ज़िमेदारी भूल चुका है, अब उसकी सरदारी हो गई
और हर मुखिया इससे ग्रस्त हो गया, इतनी भयंकर यह बीमारी हो गई

अब लोगों का पोषण नहीं, बस शोषण होता है
ऐसा करेंगे, वैसा करेंगे, दीलासो भरा उनका भाषण होता है

समाज को इस महामारी से कैसे मिलेगी निजात
मेरी समझ से तो अब लोगो को ज़िमेदारी लेनी होगी अपने हाथ।

मैं लड़की देखने जा रहा हुं

मैं लड़की देखने जा रहा हुं

पंडित जी जब हमारे घर आए थे
झोला भर के फोटोयो का लाए थे
हर फोटो को देख देख कर
अलग अलग अटकलें लगा रहा हूं

मैं लड़की देखने जा रहा हुं

पंडित जी ने पूछा, कि लड़की MA हो या MBBS पास हो
मैंने कहा पंडित जी यह सब छोड़ो
बस दिखने में खासम ख़ास हो
मैं तो शक्ल के नंबर लगा रहा हूं

मैं लड़की देखने जा रहा हुं

अब रातों को नींद भी कहां आती है
लगी रहती है एक बेचैनी सी
मैं शादी की बाद की रात का सोच के शर्मा रहा हूं

मैं लड़की देखने जा रहा हुं।