मन की सफ़ेद चादर पर
जो पड़ गए है निशान
वोह आंसु भी ना धो पाएंगे
जो पड़ गए है निशान
वोह आंसु भी ना धो पाएंगे
रिश्तों के इस समुन्द्र में
जो आ गए है तूफ़ान
वोह सब मिटा कर जायेंगे
मन की सफ़ेद चादर पर….
मन पर विचारों के पहाड़ है
नर्म मिट्टी पर, डाला कितना भार है
फटने को है कलेजा बस
अब और सह नहीं पाएंगे
मन की सफ़ेद चादर पर….
उम्रदराज़ होते, तो मौत का इंतजार होता
कुछ पल हंसी के जीने को, मन ना बेकरार होता
पर भरी जवानी में, मौत को कैसे गले लगाएंगे
मन की सफ़ेद चादर पर….
ऐ ख़ुदा अब हिम्मत दे
कितने ही किए है कर्म, एक इमदाद और कर दे
कारण बना दे मेरे जाने का, ख़ुद ही ख़ुद को ना मिटा पाएंगे
मन की सफ़ेद चादर पर….
08.08.2013