दुनिया ने हमें सब सिखाया, पर मरना नहीं
ज़िन्दगी लंबी लगती है मगर, इसका ऐतबार करना नहीं
ज़िन्दगी लंबी लगती है मगर, इसका ऐतबार करना नहीं
चंद लम्हों में ही सिमट कर खो जाती है
सांसों की लड़ी देखते ही देखते बंद हो जाती है
मरना तो किसी की ख्वाहिश नहीं है, फिर क्यूं मौत आती है
ज़िन्दगी आंखें नम कर लेती है, पर मौत को ना रोक पाती है
रह रह कर मन मेरा मुझसे पूछता है, की क्या मुझे भी मरना होगा
मैं भी जलूंगा कभी, क्या लकड़ियों का इंतज़ाम करना होगा
मुझे समझ नहीं आता कि अपने मन से क्या कहूं
शायद मैं और मेरा मन हम दोनों ही सच जानते है, पर इसे अनदेखा कैसे करू।

