रे ओ श्यामा, रेे ओ प्यारे
ना जाने कब मिल होगा
पुकारते है हम चारों पहर
ना जाने कब तेरा दिल होगा
ना जाने कब मिल होगा
पुकारते है हम चारों पहर
ना जाने कब तेरा दिल होगा
शिकायत मैं नहीं करता
बहाने तुम बनाते हो
कभी किस्मत, कभी बन्धन
कर्मो का बताते हो
अगर तुम ज़िद के पक्के हो
तो कम हम भी है कहां
धरा पर मिल ना पाए गर
तो मिलने आएंगे तू जहां