Vishal Gupta सिसकी सिसकी यह मन, कुछ यूं है भरे यादों को तेरी जब, याद करे लम्हें जो काटे थे, साथ हमने उन यादों के ज़ख्म, फिर हुए हैं हरे दिल की ख्वाहिश, वोह जाने बिना ही कहें वोह पथ पर ना जाने, कहां छूट गए वोह पत्थर हुए, हम हुए है पानी पत्थर कैसे की, जो पानी पे तरे 4081 thumb_up thumb_down 0
Vishal Gupta कुछ पल आरज़ू कुछ और भी है, कहीं दिल कहीं दिमाग है अरमान कुछ और भी है, पर निकलने को जान है आखरी सांसों की उधारी, चल रही है यहां कुछ पलो के बाद जाने, मैं कहां मैं कहां अरमानों का दम निकले, उससे पहले सुन लो ज़रा इक दिन भी जिया नहीं मैंने, बस यूंही व्यतीत किया| 4085 thumb_up thumb_down 0