जो आग मुझे दिख रही है
क्या उसकी तपिश का तुम्हे अहसास नहीं
क्या उसकी तपिश का तुम्हे अहसास नहीं
पूरे घर को जलाकर राख कर देगी यह
तुम्हे इसकी ताक़त का अंदाज़ नहीं
माना कि यह अपनों कि लगाई आग है
पर फिर भी जलाएगी तुम्हे
इस आग की लपटे
आम आग से सो गुना ज्यादा तड़पाएगी तुम्हे
जो आग बुझा सकते थे
उनके मन सोए हुए है
उनसे कुछ उमीद ना करना
वोह ख़ुद बेबस होए हुए है
बचाने के लिए
कुछ भी साधन किसी के पास नहीं
मेरी मानो तो निकलो यहां से
इस धुएं में ले सके ऐसा एक भी सांस नहीं।