जिस ज़िन्दगी में

जिस ज़िन्दगी में मरने की चाह हो
उस ज़िन्दगी को मैं कैसे ज़िन्दगी कहूं

और जिस घर में होता बेवजह कलह हो
उस घर को मैं कैसे घर कहूं

दोनों ही बिखरने की कगार पर है
मौत आज या कल में दोनों को खाएगी

यह असम्यक बर्बादी बड़ी खतरनाक है
क्या कोई ताक़त इसे रोक पाएगी

कोई रोक भी पाएगा तो कैसे
यह बीस साल पहले शुरू हुआ मंज़र है

विषेले शब्द और वोह कड़वी यादें
आज हाथ में बना यह खंजर है

मौत पहले घर की होगी या ज़िन्दगी की
देखने वालों को बस इसी का इंतजार है

मेरी तरफ़ से तो चाहे कुछ भी हो
दोनों तरफ़ से मेरी ही हार है।

मैं मरना नहीं चाहता


मैं मरना नहीं चाहता, मुझे मौत का डर है

माना कि पथ कांटो से भरा है
दुख ही दुख है और सुख ज़रा है
पर फिर भी मुझे प्यारा यह सफ़र है

मैं मरना नहीं चाहता, मुझे मौत का डर है

कांटो की चुभन फूलों की चाहत बढ़ाए
और उठते कदम थोड़ा आगे लेजाएं
चलना है मुझे चाहे मुश्किल यह डगर है

मैं मरना नहीं चाहता, मुझे मौत का डर है

और बढ़ने को आगे कोई थकान नहीं है
माना कि चहरे पर अभी मुस्कान नहीं है
ख़ोज रहा हूं कि खुशी किधर है

मैं मरना नहीं चाहता, मुझे मौत का डर है

हालांकि मेरे लिए खुशी इतनी जरूरी नहीं है
कट रही है, हालत इतनी बुरी नहीं है
मुझे अपनी नहीं अपनों की फिकर है

मैं मरना नहीं चाहता, मुझे मौत का डर है

पर जाना तो होगा यहां कौन रहा है
बेमतलबी है ज़िन्दगी, हज़ारों ने कहां है
और हर इलाज़ इसके आगे बेअसर है

मैं मरना नहीं चाहता, मुझे मौत का डर है

मुश्किल बड़ा है पर सच यही है
जाना ही होगा वोह सुनती नहीं है
मौत के सामने चलती ना अगर मगर है

मैं मरना नहीं चाहता, मुझे मौत का डर है

मन को संभालो यह दे के दिलासा
की चाहे वक़्त मिला है हमें ज़रा सा
पर ना होने से, तो होना बेहतर है

तो अब कभी भी आए
मुझे मौत का क्या डर है

12.11.2013