आगे क्या करना है, आगे क्या होना है
कुछ पता नही
पता है तो बस इतना, की जीना है
क्यों और कैसे, अभी उसकी भी कोई ख़बर नहीं
मरना जब विकल्प ही नहीं है
तब तो जीना ही होगा
क्या करू ऐसा की जिंदगी सार्थक लगे
सिर्फ़ खाना कमाना तो इसका अर्थ नहीं हो सकता
कहां ढूंढू मैं इसका मतलब, किससे पूछ के आऊ
चलूं पुराने रास्तों पर या कोई नई डगर बनाऊं
किससे पूछ के आऊ
Author: Vishal Gupta
झटका
इस बार का झटका बहुत भारी पड़ा
झटके पहले भी लगे बहुत,
पर इस बार का झटके ने बहुत कमज़ोर किया
कुछ उम्र का तक़ाज़ा भी था,
और कुछ पहले लगे झटको की सनसनाहट बाकी थी अभी
फिर भी मुस्कुराकर जीने का फैंसला किया था मैंने,
सोचा, की जितना वक्त मिला है चलो उतना ही सही
मेहर उस रब की जिसने इस बार भी बचा लिया,
सब झंझटों परिशानियो को कुछ दिनों मैं ही सुलझा दिया
अब समझ में यह नहीं आ रहा की आगे क्या करामात करू,
जिंदगी के बिखरे टुकड़े समेटु या नए सिरे से शुरुआत करू
आगे क्या करामात करू।।