कोई गिला नहीं

ना ही कोई गिला है मुझे, ना ही कोई शिकायत है
बस कट रही है यह ज़िन्दगी, तेरी ही इनायत है

तेरा ही तो दिया सब कुछ है, तुझ पे ही सब कुर्बान है
मां बाप की उधारी यह शरीर है, और तेरी उधारी यह जान है

कुछ अपना नहीं, कुछ पराया नहीं
कुछ मैंने खोया नहीं, और कुछ नया पाया नहीं

मैं हर धड़ी ही पूरा था, मैं हर घड़ी ही पूर्ण हूं
मैं हर घड़ी ही तु था, तु होकर ही सम्पूर्ण हूं।

मेरा आखरी वक़्त है

ना करो मुझसे झिलाकर बात, मेरा आखरी वक़्त है
ना करो दिल दुखाने वाली बात, मेरा आखरी वक़्त है

जब भी तुम मुझे गुस्सा दिखाते हो, मैं परेशान हो जाता हूं
गुम सुम सा हो जाता हूं, मैं भीतर से लहूलुहान हो जाता हूं

हां मैने भी कहें है, कड़वे शब्द और तीर जैसी नोकिली बातें
क्या करू भीतर का दुख संभालता ही नहीं था, जब भी तुम कुछ कह जाते

मैं तो यहां अपना वक़्त पूरा कर रहा हूं
जल्दी ख़त्म हो यह ज़िन्दगी, इसीलिए तेज़ी से सांसे भर रहा हूं

पर मन में मलाल है, कि बहुत दिनों से तुमसे बात नहीं की है मैंने
क्रोध और डर दोनों, दे ही नहीं रहे है जीने

क्रोध इस बात का है, कि तुमने ऐसा कहां वैसा कहां
और डर इस बात का है, की शायद बात करने का मोका ना मिले दोबारा

तो अब बात शुरू कर ले, ताकि मेरे जाने पर तुम्हे बात ना करने का गिला ना रहे
नहीं तो शायद, दीवारों तस्वीरों को सुनायोगे वोह बातें और किस्से अनकहे

पर मुझे चुभे ऐसा कुछ ना कहना, मेरा आखरी वक़्त है
हो सके तो जाने के पलों में मेरे साथ ही रहना, मेरा आखरी वक़्त है।