जब से तुझे देख लिया

मिली रौनक-ए-जहान, बेपनाह है मज़ा
जब से तुम्हें देख लिया, जो तुम्हें देख लिया

प्यारा सा दर्द जुड़ गया है, ज़िन्दगी में मेरी
दवा उसकी है, के दिख जाए सुरत तेरी
मरीज़-ए-इश्क़ बना, जब से तुम्हें देख लिया

जब से तुम्हें देख लिया, जो तुम्हें देख लिया

दुनिया हुई है हसीन, निखरा है आसमान
मुरझाया कुछ भी नहीं, कण कण हुआ जवान
यह तेरा इश्क़ पिया, जिसने यह जादू किया

जब से तुम्हें देख लिया, जो तुम्हें देख लिया

मेरी रूह तक तु उतरी, दिल-ओ-जान हो गई
अपनी मिटा दी जो थी, तुही मेरी पहचान हो गई
खुद को फ़ना है किया, प्यार कुछ ऐसा किया

जब से तुम्हें देख लिया, जो तुम्हें देख लिया

परेशानियां भी मुझसे परेशान हो गई
मैं तेरे इश्क़ में डूबा रहा, और वोह खुद-बा-खुद आसान हो गई
कितना सुकून है मिला, जब से प्यार मैंने किया

जब से तुम्हें देख लिया, जो तुम्हें देख लिया

ऐ ख़ुदा, और लंबी कर दे उम्र मेरी
कभी सोचा ना था, कि मागूंगा मैं यह भी
इश्क़ में इतना मज़ा, रहने दे और ज़रा

जो उन्हें देख लिया, जब से उन्हें देख लिया

मां

जिस मां के है बच्चे हम सब
उसको तुमने धुतकारा था
उस मां के दिल से पूछो
की कैसे उसने उन शब्दों को सहारा था

ख़ुद गिले में सो कर
तुमको सूखे में सुलाया था
क्या भूल गए उस कर्ज़ को
जो आज तक ना चुकाया था

कितने सपने उसने सजाए थे
एक महल सपनो का बनाया था
अब उसके सारे सपने टूट गए
जब मां से ही बच्चे रूठ गए

मां के दिल का क्या था हाल
शब्द ना कर पाएंगे उसका व्याखान

उस लड़के के दोस्त ने उसे समझाया था
की जा कर पूछो उन बच्चों से
जिन्होंने जीवन में मां का प्यार ना पाया था

जब बचपन कि याद आई
दिल के तार खनक उठे
की किस तरह मुझको पाला था
मुझ गिरते को संभाला था

अब मां का मोल वोह समझ गया
पर नज़रों से अपनी ही गिर गया

सोचा कि अब मां के सामने कैसे जयुंगा
किस तरह मुंह दिखाऊंगा

होंसला कर के मां के सामने गया वोह जब
मां के आंसू निकले तब

बेटे को गले से लगाया था
पुराना सब भुलाया था।