कुछ तो है जो मुझे सोने नहीं दे रहा
कुछ तो ज़ेहन में चल रहा है आज
क्यू एक डर सा हावी हुआ है मुझपे
क्यू एक उम्मीद कर रहा हूं मैं आज
जब कुछ चाहत ना थी मेरी, तब तो ना डरा था मैं
क्यू एक ज़वाब किसी का, डर की वज़ह बना है आज
क्यू किसी के ज़वाब के इंतज़ार में हूं मैं
क्यूं सोच रहा हूं की क्या ज़वाब मिलेगा आज
कैसे कहूं मन को की सब अच्छा होगा
जो किया वोह अच्छा किया है आज
बड़े दिनों से सोच रहा था, बहुत सोच लगाई थी
तय किया था की जो कहना है, कहेंगे उसे हम आज
हां और ना, कितने मामूली से शब्द है शब्द कोश के
पर मेरे लिए बने है कितने ख़ास वोह आज
थोड़ा वक्त मांगा है उसने मुझसे
मुझे पलो में हो रहा है महीनो का अहसास