इस बार का झटका बहुत भारी पड़ा
झटके पहले भी लगे बहुत,
पर इस बार का झटके ने बहुत कमज़ोर किया
कुछ उम्र का तक़ाज़ा भी था,
और कुछ पहले लगे झटको की सनसनाहट बाकी थी अभी
फिर भी मुस्कुराकर जीने का फैंसला किया था मैंने,
सोचा, की जितना वक्त मिला है चलो उतना ही सही
मेहर उस रब की जिसने इस बार भी बचा लिया,
सब झंझटों परिशानियो को कुछ दिनों मैं ही सुलझा दिया
अब समझ में यह नहीं आ रहा की आगे क्या करामात करू,
जिंदगी के बिखरे टुकड़े समेटु या नए सिरे से शुरुआत करू
आगे क्या करामात करू।।
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बिना सांसों के
देखने वालों की धड़कनों को थमाना है
बिना सांसों के हमें जी कर दिखाना है
मिट्टी के घरों मैं तो बहुत रह लिए हम
अब दिलों में अपना आशियाना बनाना है
बिना सांसों के हमें जी कर दिखाना है
अब तो आखरी सांस का भी डर नहीं
मौत के सामने भी मुस्कुराना है
बिना सांसों के हमें जी कर दिखाना है
और कौन है जो गया नहीं
इस महफ़िल में तो आना जाना है
बिना सांसों के हमें जी कर दिखाना है
मस्ती से निकलूंगा अपनी सवारी पर
सुना है कि वोह सफ़र बहुत सुहाना है
बिना सांसों के हमें जी कर दिखाना है
यहां रुक कर भी क्या करोगे ऐ विशाल
यह तो सराए है, ना की तेरा ठिकाना है
बिना सांसों के हमें जी कर दिखाना है
उड़ान भरों और खुल के जियो तुम
मौत को भी शर्मिंदा कर जाना है
बिना सांसों के हमें जी कर दिखाना है
मोहब्बत करो हर किसी से
हर खुशी एक नज़राना है
बिना सांसों के हमें जी कर दिखाना है
समझ लो इस खेल को अच्छी तरह प्यारे
कुदरत को यह खेल तुम्हे कितनी बार खिलाना है
बिना सांसों के हमें जी कर दिखाना है
जान लो सब दांव पेंच इसके
हमें उसके खेल में उसी को हराना है
बिना सांसों के हमें जी कर दिखाना है