अंगीठी मन बना

मिट्टी बंटी, देश बना
तन बंटे, भेष बना

मन बंटे, कलह कलेश बना
धर्म के ठेकेदारों ने इस सब को जना

गोली का निशाना, हर एक जन बना
जहां फूलों की थी फुलवारी, वोह जगह अब रण बना

खून में लिपटा और लाल हर कण बना
नफ़रत सुलगी और अंगीठी मन बना।