ऐ ज़िन्दगी तु इतनी हसीन कब थी, जितनी अब है
कुछ भी नहीं बचा मेरे पास, पर लगता है कि सब है
कुछ भी नहीं बचा मेरे पास, पर लगता है कि सब है
तेरी अदायों का मोल, मैंने अब जाना
मैं कौन था और क्या हूं, खुद को पहचाना
समय अब मुझे डराता नहीं है
चंद घड़ियां ही बची है, यह कह के सताता नहीं है
असल आज़ादी मैंने अब महसूस की है
जो कभी ना उतरे वोह शराब आज पी है
अब इस खुमारी में मुझे जी लेने दो यारों
यहां गम का कतरा भी नहीं है, बस खुशियां है हज़ारों
मैं आज़ाद हूं, और गवाह मेरे रब है
ऐ ज़िन्दगी तु इतनी हसीन कब थी, जितनी अब है।