ना देख पाए ज़िन्दगी

नज़र अंदाज़ कर के
बख़ूबी चल रही थी ज़िन्दगी
जिस दिन रूबरू हुए
उस दिन घबरा गए हम

इतना कुछ बीत रहा था
उसके साथ
की हालत उसकी देख के
शर्मा गए हम

कुछ देर भी यह नज़ारा
देख ना सके
मन की चुभन के चलते
नज़रे छुपा गए हम।