छुआछूत

कया मेरी ही गलती है ओह शायर
के समाज का ही कसूर है
जब ख़ुद बनाते है अपने इस्तेमाल के लिए
तो मेरे होने को ही गलत बताना, यह कैसा दस्तूर है

मुझसे घिन आती है सबको अब
जबकि आंसूओं में नहाया हूं मैं
तो क्यूं मुझे दोजक की आग दिखाते हो
क्या उस अल्लाह का नहीं बनाया हूं मैं

मेरे ऐसा होना या वैसा होना
उस मालिक की मर्ज़ी है
हम सब बिखरी कतरन है
वोह सीने वाला दर्जी़ है

तो अब वास्ता है उस मालिक का
मुझे इस छोटी सी ज़िन्दगी को पूरा करने दो
सिर उठाकर जीने तो ना दोगे शायद
पर मुझे बाइज्जत सकून से मारने दो

अपनी छोटी सी ज़िन्दगी पूरी करने दो

03.05.2013

प्रभु जी तुम निष्ठुर कठोर

प्रभु जी तुम निष्ठुर कठोर

कुछ तो करो बदलाव रे
गहरे मेरे घाव रे
फंस गया हूं मैं, ना है कोई छोर

प्रभु जी तुम निष्ठुर कठोर

अब बातों पे, यकीन नहीं तेरी
दिल में चले तेरे हेरा फेरी
ज़माने भर में मचायुंगा, मैं इस बात का शोर

की प्रभु जी तुम निष्ठुर कठोर

अपना हमको तुम ने बनाया
थोड़ा अपना जलवा दिखाया
फिर क्यों आज ना है कोई ठोर

प्रभु जी तुम निष्ठुर कठोर

दुख में मैंने अन जल है त्यागा
मत तोड़ो मेरे प्रेम का धागा
तुम हो पतंग और मैं हुं डोर

प्रभु जी तुम निष्ठुर कठोर

मुझसे छुटे तो कहां जायोगे
मेरे बिन क्या रह पायोगे
चाहे लगा लो पूरा जोर

प्रभु जी ना बनो निष्ठुर कठोर