सोचा तो यह था कि मैं ही मैं हो जाऊंगा
अकेले होने की परवाह नहीं थी मुझे
जानता था कि इक दिन मैं कारवां हो जाऊंगा
बस, वक़्त आने की देरी है
शायद वक़्त वक़्त की बात है
उस वक़्त हम भी जवां थे और वक़्त भी जवां था
मेरे मन का होंसला यूहीं नहीं बना
बन्दा बन्दा मेरी काबिलियत का गवाह था
यह तो नामुराद शरीर है
जिसने हमारा साथ ना दिया
लोगों की तालियों की गड़गड़ाहट अभी थमी भी ना थी
की इसने हमें गिरा भी दिया
मौत के बिस्तर पर समय ने
एक बात दिमाग़ में भर भर के डाली
की कुछ भी करलो जाना होगा
और हाथ होंगे बिल्कुल खाली
जाते हुए, जेबों में भर सकु
ऐसा धन जुटाना है मुझे
इस बार का ही क्यूं सोचूं
अगली बार भी तो आना है मुझे
शायद यह दिले तमन्ना तब पूरी हो जाए
तब का इंतजार रहेगा
इस बार चुके तो कोई गिला नहीं
अगली बार हर कोई हमें ही शानदार कहेगा