हर गम से तु
मज़बूरी से
आज़ादी दे
मज़बूरी से
आज़ादी दे
ओ मौला
मुझे आज़ाद
कर दे
मेरे पंखों को
खुलने की
जगह दे
इतनी की
सूरज को भी
हम छुपा दे
ओ मौला
मुझे आज़ाद
कर दे
कुछ पाने कि
हर ख्वाहिश ही
फ़ना कर दे
तेरे इश्क़ की
चाहत से ही
मुझे भर दे
ओ मौला
मुझे आज़ाद
कर दे
मेरे कन कन को
आज़ादी से
ऐसे भर दे
की सांस-सांस मेरी बोले
हम है
आज़ाद परिंदे
हम है
आज़ाद परिंदे