जिंदगी सार्थक कर दे ए मौला,
मुझे सलीके से जीने का मौका दे।
नई तय कर मेरे जीवन की ऊंचाइयां,
जिंदगी में नई तमनाओ का झोंका दे।
बारीशे कर इल्म-ओ-हुनर की मुझ पर,
मुझे नई बुलंदियों पर पहुंचा दे।
मैं ऊपर उठू तेरे रहम-ओ-करम से मेरे मौला,
मेरे जीवन को जन्नत बना दे।
हटा मेरे सर से बोझ सभी फिकरों का,
मुझे सकून से जीना का सलीका दे।
और मिटा दे मेरे जेहन से, जो भी बुरा सीखा है मैंने,
मुझे प्यार के, इबादत के, दो लफ्ज़ सीखा दे।
मैं खोजू तुझ को और तुझी से ही मिल जायूँ,
यही मेरी जिंदगी की मंजिल तू बना दे।
इमदाद कर तू यही मेरे मौला,
मैं मिल सकूं तुझ से, मुझे इतना काबिल तू बना दे।
मुझे तुझसे(खुदसे) मिलने का मौका दे।।
Category: Poems
बहाना
लड़ने को इक दिन मैं घर से चला
लड़ना ही होगा, यह सब ने कहां
लड़ना ही होगा, यह सब ने कहां
सदियों से खेल, यह चल है रहा
अंजाम है क्या, यह भी सब को पता
सूनी है राहें और काला है कोहरा
दिखता नहीं है कि आगे क्या होगा
क्या लड़ते ही लड़ते गुज़र जाना है
ज़िन्दगी से कभी क्या जीत पाना है
कोई चिराग़ जलायो मेरे आसपास
अंधेरे से जकड़ी, खुले मेरी सांस
सवालों के घेरे में मैं हूं खड़ा
लाज़वाब हूं, परेशान हूं बड़ा
कोई तो कुछ बताओ मुझे
करना है क्या समझाओ मुझे
क्यों ना एक दूसरे का सहारा बने
इस गहरी नदी में किनारा बने
वक्त कटता किसी बहाने से है
आओ आज किसी का बहाना बने
ज़िन्दगी की यही अब कोशिश रहे
की ऐसे पकड़े किसी का हाथ, की कोई हमारा बने।
06.01.2015