जिंदगी सार्थक कर दे ए मौला,
मुझे सलीके से जीने का मौका दे।
नई तय कर मेरे जीवन की ऊंचाइयां,
जिंदगी में नई तमनाओ का झोंका दे।
बारीशे कर इल्म-ओ-हुनर की मुझ पर,
मुझे नई बुलंदियों पर पहुंचा दे।
मैं ऊपर उठू तेरे रहम-ओ-करम से मेरे मौला,
मेरे जीवन को जन्नत बना दे।
हटा मेरे सर से बोझ सभी फिकरों का,
मुझे सकून से जीना का सलीका दे।
और मिटा दे मेरे जेहन से, जो भी बुरा सीखा है मैंने,
मुझे प्यार के, इबादत के, दो लफ्ज़ सीखा दे।
मैं खोजू तुझ को और तुझी से ही मिल जायूँ,
यही मेरी जिंदगी की मंजिल तू बना दे।
इमदाद कर तू यही मेरे मौला,
मैं मिल सकूं तुझ से, मुझे इतना काबिल तू बना दे।
मुझे तुझसे(खुदसे) मिलने का मौका दे।।
Category: Poems
जवाब
कुछ तो है जो मुझे सोने नहीं दे रहा
कुछ तो ज़ेहन में चल रहा है आज
क्यू एक डर सा हावी हुआ है मुझपे
क्यू एक उम्मीद कर रहा हूं मैं आज
जब कुछ चाहत ना थी मेरी, तब तो ना डरा था मैं
क्यू एक ज़वाब किसी का, डर की वज़ह बना है आज
क्यू किसी के ज़वाब के इंतज़ार में हूं मैं
क्यूं सोच रहा हूं की क्या ज़वाब मिलेगा आज
कैसे कहूं मन को की सब अच्छा होगा
जो किया वोह अच्छा किया है आज
बड़े दिनों से सोच रहा था, बहुत सोच लगाई थी
तय किया था की जो कहना है, कहेंगे उसे हम आज
हां और ना, कितने मामूली से शब्द है शब्द कोश के
पर मेरे लिए बने है कितने ख़ास वोह आज
थोड़ा वक्त मांगा है उसने मुझसे
मुझे पलो में हो रहा है महीनो का अहसास

