इच्छा

मेरी भी एक इच्छा थी
की माता, पिता के नाम को चमकाऊँगा
जो किसी ने नहीं किया, वोह मैं कर दिखाऊंगा

पर इच्छा पूरी हुई ना मेरी
पंद्रह वर्ष यु बीत गए
तुम जीत गए, तुम जीत गए
यह कहने वाले मीत गए

अब लगता है मैं हार गया
नदिया के उस पर गया
जहाँ दर्द नहीं, जहाँ प्यार नहीं
जहाँ कोई एहसास नहीं

पर में अपनी इच्छा को नहीं दबाऊंगा
तुम देखना, तुम देखना
जीवन की कक्षा में मैं ही प्रथम आयुंगा|

हम है आज़ाद परिंदे

हर गम से तु
मज़बूरी से
आज़ादी दे

ओ मौला
मुझे आज़ाद
कर दे

मेरे पंखों को
खुलने की
जगह दे

इतनी की
सूरज को भी
हम छुपा दे

ओ मौला
मुझे आज़ाद
कर दे

कुछ पाने कि
हर ख्वाहिश ही
फ़ना कर दे

तेरे इश्क़ की
चाहत से ही
मुझे भर दे

ओ मौला
मुझे आज़ाद
कर दे

मेरे कन कन को
आज़ादी से
ऐसे भर दे

की सांस-सांस मेरी बोले
हम है
आज़ाद परिंदे

हम है
आज़ाद परिंदे