मेरी भी एक इच्छा थी
की माता, पिता के नाम को चमकाऊँगा
जो किसी ने नहीं किया, वोह मैं कर दिखाऊंगा
की माता, पिता के नाम को चमकाऊँगा
जो किसी ने नहीं किया, वोह मैं कर दिखाऊंगा
पर इच्छा पूरी हुई ना मेरी
पंद्रह वर्ष यु बीत गए
तुम जीत गए, तुम जीत गए
यह कहने वाले मीत गए
अब लगता है मैं हार गया
नदिया के उस पर गया
जहाँ दर्द नहीं, जहाँ प्यार नहीं
जहाँ कोई एहसास नहीं
पर में अपनी इच्छा को नहीं दबाऊंगा
तुम देखना, तुम देखना
जीवन की कक्षा में मैं ही प्रथम आयुंगा|