सिसकी यह मन, कुछ यूं है भरे
यादों को तेरी जब, याद करे
लम्हें जो काटे थे, साथ हमने
उन यादों के ज़ख्म, फिर हुए हैं हरे
दिल की ख्वाहिश, वोह जाने बिना ही कहें
वोह पथ पर ना जाने, कहां छूट गए
वोह पत्थर हुए, हम हुए है पानी
पत्थर कैसे की, जो पानी पे तरे
Where the path to Nirvana is shared
आंखों से पिलाना, इस मेखाने की खासियत है
यहां नाच गाना नहीं होता, कुछ ऐसी सुफियत है
यह अल्लाह के बन्दों की मदहोश महफ़िल है
लोग डूब जाते है, वोह आंखें नीची नहीं करते
प्याले छलक जाते है, जब आंखों से वोह भरते
कुछ घूंट आंखों के मैं अभी पी के आया हूं
खुद लूट गया हूं मैं, या कुछ लुट लाया हूं
मैं नशे में चूर हूं, मुझसे नहीं पूछो
सरुर ऐसा है कि अब हम फ़िक्र नहीं करते
प्याले छलक जाते है, जब आंखों से वोह भरते
यहां शमाए बुझ भी जाए ग़र, परवाने फिर भी जलते है
पीना रोक भी दे ग़र, कहां दिल संभलते है
दिल को आज बेहने दो, जन्नत पे दस्तक दे
जनुन इतना है के कमबख्त, ना मरने से है डरते
प्याले छलक जाते है, जब आंखों से वोह भरते
मोहब्बत तीर दे, कमान मैं खुद बना लूंगा
तुम चिंगारी है दो बस, मैं खुद सुलगा लूंगा
कत्ल होने की मेरी ना थी कोई आरज़ू
पर आशिक़ देख ले पल भर, तो ख़ुद-बा-ख़ुद ही है मरते
प्याले छलक जाते है, जब आंखों से वोह भरते
जन्नत की जो थी आरज़ू, हुई महखाने में पूरी
आशिक़ और मुझ में है, प्याले लबों की दूरी
तेरे रूबरू हो कर, मैंने है जो पाया
पाने को उसे फ़रिश्ते, ज़मीन पर है उतरते
प्याले छलक जाते है, जब आंखों से वोह भरते।