जब पूछा की क्या हाल है, ‘रंग लगा’ बतलाया है
यह बनिया बातों का खज़ाना, ना जाने क्या क्या समाया है
बहुत किया होगा तप मैंने, जो ऐसे दादा जी को पाया है
तेहमत कुर्ता टोपी वाले ने, धारी शाह नाम कहलाया है
बचपन से ही उन्होंने, हर काम कर दिखाया है
जामुन का है पेड़ जो इनका, उसे कभी ना हिलाया है
बस ब्याज में जो जामुन मिले, उन्हीं को खुश हो खाया है
बड़ी पैनी है नज़र इनकी, हर एक चीज़ दिखती है
नहीं गए है स्कूल कभी, पर कलम दुरुस्त लिखती है
कान भी बड़े पतले है इनके, हर बात की खबर होती है
मुंह में नहीं है दांत इनके, जैसे सीप से चोरी हुए मोती है
है पक्के असुल बापू के चेले
राम राम जपते जब होते अकेले
खाने में मुंगी की दाल ही भाए
शाम को अपनी महफ़िल में जाए
हर बार दी है सही सलाह, हर बार सही रास्ता दिखाया है
बहुत किया होगा तप मैंने, जो ऐसे दादा जी को पाया है।