जब से तुझे देख लिया

मिली रौनक-ए-जहान, बेपनाह है मज़ा
जब से तुम्हें देख लिया, जो तुम्हें देख लिया

प्यारा सा दर्द जुड़ गया है, ज़िन्दगी में मेरी
दवा उसकी है, के दिख जाए सुरत तेरी
मरीज़-ए-इश्क़ बना, जब से तुम्हें देख लिया

जब से तुम्हें देख लिया, जो तुम्हें देख लिया

दुनिया हुई है हसीन, निखरा है आसमान
मुरझाया कुछ भी नहीं, कण कण हुआ जवान
यह तेरा इश्क़ पिया, जिसने यह जादू किया

जब से तुम्हें देख लिया, जो तुम्हें देख लिया

मेरी रूह तक तु उतरी, दिल-ओ-जान हो गई
अपनी मिटा दी जो थी, तुही मेरी पहचान हो गई
खुद को फ़ना है किया, प्यार कुछ ऐसा किया

जब से तुम्हें देख लिया, जो तुम्हें देख लिया

परेशानियां भी मुझसे परेशान हो गई
मैं तेरे इश्क़ में डूबा रहा, और वोह खुद-बा-खुद आसान हो गई
कितना सुकून है मिला, जब से प्यार मैंने किया

जब से तुम्हें देख लिया, जो तुम्हें देख लिया

ऐ ख़ुदा, और लंबी कर दे उम्र मेरी
कभी सोचा ना था, कि मागूंगा मैं यह भी
इश्क़ में इतना मज़ा, रहने दे और ज़रा

जो उन्हें देख लिया, जब से उन्हें देख लिया

कोई गिला नहीं

ना ही कोई गिला है मुझे, ना ही कोई शिकायत है
बस कट रही है यह ज़िन्दगी, तेरी ही इनायत है

तेरा ही तो दिया सब कुछ है, तुझ पे ही सब कुर्बान है
मां बाप की उधारी यह शरीर है, और तेरी उधारी यह जान है

कुछ अपना नहीं, कुछ पराया नहीं
कुछ मैंने खोया नहीं, और कुछ नया पाया नहीं

मैं हर धड़ी ही पूरा था, मैं हर घड़ी ही पूर्ण हूं
मैं हर घड़ी ही तु था, तु होकर ही सम्पूर्ण हूं।