राम तेरा तेरे भीतर छुपा है, उसको ले पहचान
तुझ पर कृपा करता है वोह, कितना दीन दयाल
दुख में जब सब छोड़ के जाते, वोह रहता तेरे पास
सुख दुख में वोह साथ है तेरे, रख उस पर ही आस
दुख मैं भी तू निडर रहना, ना सुख की करना आस
राम का रिश्ता तुझ से वैसा, जैसे पानी संग है प्यास
बाहर की आंखें बंद कर ले, भीतर आंखें खोल
भीतर समाए राम के, संग संग तू डोल
फिर तू समझ जाएगा प्यारे, कहां राम का वास
मूर्ति पुज के राम मिले तो, मै पुजू पहाड़ ।