टाले टाला ना गया
तुमसे मिलने का मन
जाले में फंस ही गया
तड़पे मेरा यह तन
इक झलक तेरी सूरत की
देखने को मैं तरसा बड़ा
आंखों को रोका था बहुत
पर पानी बरसा बड़ा
कब होगी मुलाकात
कब होगी तू रूबरू
है दिल का यह हाल, कहां से शुरू करूं
चंदा की चांदनी
अब जलाती है मुझे
रात की खामोशी
बिरह गीत सुनाती है मुझे
दिन भी वैसा ही है
जैसी रात है
कैसे जीतेंगे तुझे हम
किस्मत ने ही दी मात है
तुझसे मिलने के लिए
और क्या यत्न करू
है दिल का यह हाल, कहां से शुरू करूं