हम मौत को गले लगा लेंगे

जब भी सहमा या डरा
छुप गया तेरे आंचल की छायों में

आज फिर ज़िन्दगी की गर्मी बड़ी है
मौत हाथों में हथियार लिए खड़ी है

आज फिर याद आता है, तुम्हारा आंचल मुझे
बर्फ़ की खामोशी में, पहाड़ों की जड़ता में

कहीं से तुम वही आंचल फिर से लेहरा दो
तो हम मौत को गले लगा लेंगे

सोचेंगे की
जीते जीते तो पा ना सके, हम मर कर तुम को पा लेंगे

हम मौत को गले लगा लेंगे।

मसला

कुछ डरा सा हूं, कुछ होंसला भी है
क्या महसूस करू, मसला यही है

कुछ दूर से मुझे कुछ, दिख तो रहा है
क्या वोह सच में है सूरज, या कोई टॉर्च जली है
कैसे बताऊं, मसला यही है

मैं डरता नहीं हूं, खुद को बहुत बार बोला
आखिर डर छुपता कहां है, कोना कोना खंगोला
है भी और मिलता नहीं है, मसला यही है

समय उसी और भागा है जाए
कैसे रोकू इसे, क्या करू उपाय
रेस तोह है मगर ब्रेक नहीं है, मसला यही है