गमो की लहर दारू तोड़ सकती है
टूटे दिलो के तार दारू जोड़ सकती है
दरिया को हाथो से ही मोड़ सकती है
दुश्मनो के इरादों को यह झंझोड़ सकती है
टूटे हुए रिश्तों को भी यह जोड़ सकती है
आते हुए तूफानों का रुख मोड़ सकती है
मन की आंखो को यह खोल सकती है
ध्यान से सुनो बोतल बोल सकती है
क्या नही कर सकती दारू
कोई पूछे
तो कहूं
इंसान में इंसानियत डाल सकती है
हया, डर, भरम निकाल सकती है
और जो पूछो
तो बताऊं मैं तुम्हें
की कैसे इंसान को फरिश्ता बना सकती है
मज़बूत हर रिश्ता यह बना सकती है
Category: Poems
वक़्त
वक़्त का दस्तुर भी अज़ब निराला है
कभी गिराया और कभी इसी ने संभाला है
यूं तो कायर है, पल पल करके सामने आता है
अतीत की चुभन और भविष्य की फ़िकर, इन दोनों में ही भरमाता है
कभी कमजोर तो कभी बलवान जान पड़ता है
जहां कदर नहीं, वहां तो भरपूर है मगर, कहीं चंद घड़ियां देने में भी अखरता है
मैं इसके रूबरू होना चाहता हूं
मैं इसे बेपर्दा करना चाहता हूं
पर जब भी मुशक्कत करता हूं, कहीं दूर पहुंच जाता हूं
असल को छोड़कर, बेमतलबी गालियों में जरूर पहुंच जाता हूं
पर ज़िद है मेरी, की इक बार तो सामना हो
जिस वक़्त ने चलाया तय ज़िन्दगी, उस वक़्त का कुछ तो जानना हो
इक बार तो सामना हो।
24.02.2015