तेरे मिलने की उम्मीद

तेरे मिलने की उम्मीद से, दिल में सकून है
सब फीका है अब तो, तुझे मिलने का जुनून है

तेरे दीदार की चाहत का असर कुछ ऐसा है
की ज़िन्दगी ने सांसों कि मोहताजगी छोड़ दी है

हर घड़ी जो तेरी याद रहे, वही दौलत-ए-ज़िन्दगी है
चंद सिक्को के खातिर जो करते थे, वोह चाकरी छोड़ दी है

तुझसे मिलने की आरज़ू में, कटता है अब वक़्त मेरा
ख़ुदा की जो करते थे, वोह बंदगी छोड़ दी है।

तेरे आने को दाता

तेरे आने को दाता
हवा ने बात चलाई है
बरखा ने धरती को धोया है
फूलों ने पगडंडी बनाई है

मां लक्ष्मी ने बल बुद्धि विद्या दे के
मन मंदिर में ज्योति जगाई है
जिभा देहली भी रामा
तेरे ओहो गाद से सजाई है

हर दिए को कहा है दाता
हर दिए को बात बताई है
उनके बुझने से पहले आयोगे तुम
यह उनसे शर्त लगाई है

सारी दुनिया देखने आ रही
की यह रोशनी कहां जगमगाई है
आज मिलने की घड़ी आई है
सांसों में बजी शहनाई है

दाता पग धरो, कृपा करो
दाता पग धरो, कृपा करो
तेरे राज़ तिलक की रामा
शुभ घड़ी आज आई है

सांसों में बजी शहनाई है। – 2