जब भी सहमा या डरा
छुप गया तेरे आंचल की छायों में
छुप गया तेरे आंचल की छायों में
आज फिर ज़िन्दगी की गर्मी बड़ी है
मौत हाथों में हथियार लिए खड़ी है
आज फिर याद आता है, तुम्हारा आंचल मुझे
बर्फ़ की खामोशी में, पहाड़ों की जड़ता में
कहीं से तुम वही आंचल फिर से लेहरा दो
तो हम मौत को गले लगा लेंगे
सोचेंगे की
जीते जीते तो पा ना सके, हम मर कर तुम को पा लेंगे
हम मौत को गले लगा लेंगे।